बड़हिया समाचार

क्रांतिकारी गतिविधियों का केन्द्र हाहा बंगला बदहाली के कगार पर

स्वतंत्रता संग्राम में बड़हिया के योगदान के प्रत्यक्ष गवाह रहे क्रांतिकारियों की प्रियस्थली बड़हिया का हाहा बंगला आजाद भारत के नेतृत्वकर्ताओं एवं प्रशासन की उपेक्षा के कारण अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए अंतिम शासन गिनने के लिए मजबूर है।विदित हो कि गुलाम भारत की राजधानी जब कलकत्ता हुआ करती थी। तब से ही स्वतंत्रता संग्राम में अपनी आहूति देनेवाले क्रांतिवीर देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़हिया के हाहा बंगला में जमा होकर क्रांति की रणनीति बनाते थे।गांव के मध्य में अवस्थित हाहा बंगला पर बंगाल,उत्तर प्रदेश, महाराष्ट, अविभाजित पंजाब, मुलतान सहित अनेक प्रांतों से क्रांतिकारी विभिन्न वेशों में बड़हिया के हाहा बंगला पर जमा होते थे।

 

कुछ क्रांतिकारी साधु के वेश में आते थे।जो अंग्रजों की नजर से बचने के लिए बड़हिया के लगभग तीन दर्जन ठाकुरवाड़ियों में प्रवास कर हाहा बंगला में रणनीति बनाते थे।कुछ क्रांतिकारी फटवॉल खिलाड़ी के रूप में आते थे जो जगदम्बा नेशनल स्पेर्टिंग क्लब बड़हिया के मैदान में फुटवॉल टूर्नामेंट में भाग लेकर क्रांति का संदेश फैलाते थे। स्थानीय क्रांतिकारियों का शहीदी जत्था हाहा बंगला पर लिए गये फैसले को अंजाम देने से पहले हाहा बंगला के नजदीक तिलक मैदान से तिलक लगाकर प्रस्थान करते थे। स्वतंत्रता आन्दोलन में जब गांधी युग की शुरूआत हुई तो महात्मा गांधी, डा राजेन्द्र प्रसाद, स्वामी सहजानन्द सरस्वती, विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण सरीखे दर्जनों नेताओं नें बड़हिया के हाहा बंगला में पधारकर क्रांतिकारियों को संगठित कर आन्दोलन को तेज किया।

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वर्ष 1921 में हाहा बंगला पर राष्टीय विद्यालय की स्थापना हुई थी। 28 मार्च 1923 को इसी हाहा बंगला में क्रांतिकारियों का साहित्य के माध्यम से उत्साहवर्द्धन करने हेतु श्री जगदम्बा हिन्दी पुस्तकालय की स्थापना की गयी थी।जो कालान्तर में वहां से स्थानान्तरित होकर वर्तमान में अवस्थित अपने स्थायी भवन में शिफ्ट हो गयी।1923 में नागपुर सत्याग्रह का अग्रिम जत्था यहीं से गया था। 12 अप्रैल 1929 को डा राजेन्द्र प्रसाद ने विदेशी वस़्त्र और मादक द्रव्यों के बहिष्कार आन्दोलन का नेतृत्व हाहा बंगला से ही किया था।हाहा बंगला पर ही लाजपत चरखा संघ की स्थापना हुई।इसके अतिरिक्त सैंकड़ों क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रत्यक्ष गवाह रही हाहा बंगला बड़हिया प्रशासनिक उपेक्षा के कारण आज ढ़हने के कगार पर है।बड़हिया के लोगों ने जिला प्रशासन के साथ साथ जनप्रतिनिधियों से इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की गुहार लगायी है।
बड़हिया फोटो 01ः क्रांतिकारी गतिविधि का मुख्य केन्द्र बड़हिया हाहा बंगला का जीर्ण शीर्ण भवन

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AJIT KUMAR

अजित कुमार: आप पेशे से पत्रकार है। आप इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया में बड़हिया प्रखंड के लिए सेवा दे रहे है। बड़हिया में विकास को लेकर आप हर संभव प्रयास कर रहे है। बड़हिया के लिए अपना पूरा समय और सहयोग देते है। हर तरह से लोगों का उत्साह वर्धन भी करते है।

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