बड़हिया घराना की संगीत

बड़हिया : संगीत एवं संस्कृति

संगीत के क्षेत्र में बिहार की भूमि उर्वर रही है। संगीत के विभिन्न विधाओ में विशिष्टता हासिल करने वाले संगीतकारो का यहां कभी अकाल नहीं रहा है। ध्रुपद के ध्रव कहे जाने वाले पंडित रामचतुर मलिक की धरती बिहार है। { कॉपीराइट- बड़हिया डॉट कॉम © www.barahiya.com } ठुमरी का उदभव स्थली के रूप में बिहार जाना जाता है। शास्त्रीय संगीत लोक गायन, लोकवादन लोकनृत्य आदि कर्इ क्षेत्रो में बिहार को ऐसे विभूति हुए है। जिन्होने हमें गौरवानिवत किया है। संगीत के क्षेत्र में मिली उपलब्धियों में बड़हिया भी किसी से पीछे नहीं रहा है।बड़हिया घराना की अपनी अलग पहचान है। बिहार में मशहूर सभी संगीता घरानों से बड़हिया का संबंध रहा है और बड़हिया संगीत घरानो की अपनी विशिष्ट पहचान भी रहीहै। ध्रपद धमार के लिए बड़हिया संगीत घरानों की अपनी विशिष्ट पहचान भी रही है। { कॉपीराइट- बड़हिया डॉट कॉम © www.barahiya.com } ध्रुपद धमार के लिए बड़हिया घराना ख्याति प्राप्त किया है। फारसी में गाया जाने वाला जिसका गायन बहुत सहज नहीं है। और जिसे हम तराना के नाम से जानते है बड़हिया संगीत घराना की पहचान थी।

सन 1790 र्इ0 से बड़हिया संगीत घराना का प्रारंभ माना जाता है उतर प्रदेश के कानपुर संभाग से घूमते हुए मीर कासिम के राज मुंगेर में दो भार्इ पहुचे दोनो भार्इयो में एक संगीतकार और दूसरे योद्धा थे। { कॉपीराइट- बड़हिया डॉट कॉम © www.barahiya.com } युद्ध में जो अंग्रेजों और मीरकासिम के बीच हुआ था। योद्धा भार्इ ने अपना कौशल दिखलाया विजयी होने के उपरान्त बड़हिया में तीन सौ बीघे की जगीर देकर उन्हें जागीरदार बना दिया गया था।

बड़हिया संगीत घराना को चण्डी मिश्र के संगीत साधना से ख्याति मिली। उनके तीन पुत्र क्रमश: वैदेही शरण मिश्र, उमानाथ मिश्र, मुन्ना जी आर ब्रहमा मिश्र तीनो ने अपने पिता के संगीत परंपरा को आगे बढ़ाया । वैदेही शरण मिश्र के पुत्र चक्रधर मिश्र थे जिन्होने संगीत के क्षेत्र में बड़हिया संगीत घराना को प्रतिष्ठा दिलायी। चण्डी मिश्र के तीसरे पुत्र बच्चा मिश्र के दो पुत्र श्याम दास मिश्र और बलराम दास मिश्र को राष्टीय एवं अन्तर्राष्टीय ख्याति मिली। { कॉपीराइट- बड़हिया डॉट कॉम © www.barahiya.com } शास्त्रीय संगीत में श्यामदास मिश्र ने भारत ही नहीं अपितु दुनिया के दूसरे देशों में भी अपनी प्रस्तुती दी और ख्याति भी अर्जित की । छोटे भार्इ बलराम दास मिश्र को राष्टीय स्तर के तबला वादक है। तबला वादन में बलराम दास मिश्र ने भी अन्तर्राष्टीय उपलब्धि हासिल की है। जल तरंग में पं0 श्याम दास मिश्र और तबला में बलराम मिश्र ने बिहार को गौरवानिवत किया है। भारत के परंपराओं के अवलाकन के प्श्चात जल तरंग में जो विशिष्टता पं0 श्यामदास मिश्र को प्राप्त थी { कॉपीराइट- बड़हिया डॉट कॉम © www.barahiya.com } वे किसी को नहीं थी। तबला वादन में भारत को चोटी के तबला वादक के रूप में आज बलराम दास मिश्र की प्रसिद्धी है। बड़हिया संगीत घराना की एक और विशिष्टता की चर्चा करना आवश्यक है कि यहां के संगीतकार रचनाकार भी थे। इनकी कर्इ रचनायें आज भी लोकप्रिय है। वैदेही शरण मिश्र की कुछ रचनायें इस प्रकार है

”हडडी मुझझे करने लगी बयान रे सांवारिया,पड़ी थी सुरसरि रेत के मैदान रे सांवरिया।”

” मरते लकड़ी जीते लकड़ी देख तमाशा लकड़ी का”

”कवन जतन तोहे’ पाउं हे हरि ढूंढ ढूंढ थक जाउं”

ये सारी रचनायें आज भी संगीतकारों के कण्ठहार हुआ करते है। बड़हिया संगीत घराना के मशहूर संगीतकारों का रागभैरवी, असावरी टोरी वृन्दावनी सारंग गुजरी टोरी विलास खानी टोडी मल्हार कोन्हार आदि शास्त्रीय रूपों पर महारथ हासिल था। बड़हिया संगीत के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। मिश्र परिवार के साथ ही कर्इ नामचीन कलाकार बड़हिया में हुए। { कॉपीराइट- बड़हिया डॉट कॉम © www.barahiya.com } तबला के नए नए बाले लिखने वाले तथा बांसुरी से शास्त्रीय संगीत की धुन बजाने में माहिर बड़हिया के धनराज टोला निवासी रामनाथ बाबू की ख्यति दूर दूर तक थी। रामचरण टोला के हरिनारायाा सिन्हा शास्त्रीय संगीत के साथ बायलिन बजाने में भी अपनी विशिष्टता प्रदर्शित करते रहे। हरिनारायण सिंहके पुत्र अभय सुमन जो उच्च विधालय पूर्ववर्ती छात्र भी रहे है { कॉपीराइट- बड़हिया डॉट कॉम © www.barahiya.com } आज भी इस परंपरा केा आगे बढ़ा रहे है। आकाशवाणी, दूरदर्शन के मशहूर कलाकारों में इनका नाम भी सुमार है। बांसुरी वादन में मगही के कबीर मथुरा प्र0 सिंह और इन्दुपुर के नन्दन सिंह तबला वादनमें श्रीकंठ टोला के शत्रुध्न मास्टर इन्द टोला के गीता झा कलारनेट में गंगासराय के मथुरा सिंह, सुगम संगीत में दानी टोला के गोपेश्वर सिंह आदि कर्इ ऐसे कलाकार इस मिटटी से जुड़े है।

प्ं0 श्यामदास मिश्र की पहचान अन्तर्राष्टीय संगीतकार के रूप में अपनी पहचान बनायी है। र्इ0टीवी0 बिहार के चर्चित गीत ये है मेरा बिहार के गीतकार और संगीतकार यही थे मां बाला त्रिपुर सुन्दरी पर आधारित कैसेट बड़हिया में अत्याधिक प्रसारित प्रचारित हुआ पं0 बलराम दास मिश्रा भी तबला वादन राष्टीय स्वर के कइ पुरस्कारों से सम्मानित कियो जा चुके है। हम यह कहते हुए गौरवानिवत है कि बड़हिया संगीत घराना के ये दोनों विभूति उच्च विधालय बड़हिया के पूर्ववर्ती छात्र रहे है। { कॉपीराइट- बड़हिया डॉट कॉम © www.barahiya.com }

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