बड़हिया समाचार

नाकाम सिस्टम ने ली युवक की जान, आवास योजना के कर्ज के दबाव में फांसी लगा की आत्महत्या !

  • नगर पंचायत द्वारा प्रधानमंत्री आवास याेजना की 2017 में मिली थी स्वीकृति
  • पहले किश्त की मिली स्वीकृति, कर्ज लेकर बनाया घर लेकिन नहीं मिली राशि
  • कर्ज में डूबा सुबोध महाजन को 4 हजार रुपये मासिक सूद का बन गया था देनदार
  • भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष कन्हैया कुमार तथा ग्रामीणों ने नगर पंचायत के अधिकारी पर उठाये सवाल

बड़हिया नगर पंचायत के वार्ड नम्बर 22 इंदुपुर गांव में बुधवार की दोपहर कर्ज के बोझ तले दबे एक युवक स्व. रामनंदन सिंंह के 40 वर्षीय पुत्र सुबोध कुमार ने घर के अंदर पंखे से लटक कर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों का आरोप है कि बड़हिया नगर पंचायत के द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए प्रथम क़िस्त की स्वीकृति मिली थी।

इसी उम्मीद पर सुबोध सिंह ने कर्ज लेकर घर बनाया था। लेकिन नगर पंचायत से आवास योजना की राशि नहीं मिली। साहूकारों का पैसे न चुका पाने की स्थिति में उसे साहूकार रोज घर पर आकर पैसा मांगता था।

सुबोध कुमार ट्रक चालक भी था। एक साल से ट्रक भी नहीं चलने के कारण वह बुरी तरह से टूट गया था और बुधवार की दोपहर घर मे कोई नहीं रहने के कारण उसने यह आत्मघाती कदम उठा लिया। उधर मृतक के परिवार वाले का घटना के बाद रो रो कर बुरा हाल है। मृतक अपने पीछे 35 वर्षीय पत्नी गुड़िया देवी व 13 वर्षीय एक मात्र संतान शिवम कुमार को छोड़ गया।

आवास याेजना की 2017 में ही मिली थी स्वीकृति, कर्ज से डूबा सुबोध 4 हजार रुपये मासिक सूद का बन गया देनदार

परिजनों ने बताया कि मृतक को प्रधानमंत्री आवास योजना की नगर पंचायत के द्वारा 2017 में स्वीकृति मिली थी। उम्मीद के साथ उसने कर्ज ले रखा था कि योजना की राशि आएगी तो कर्ज वापस करेंगे। लेकिन नगर पंचायत द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि नहीं मिली। आर्थिक स्थिति ठीक न होने से वह कर्ज की रकम लौटा नहीं पा रहा था

ऊपर से महाजन को देने के लिए 4 हजार रुपये मासिक ब्याज उसके सर बंध गया। ग्रामीणों ने बताया कि सुबोध सिंह ट्रक ड्राइवर था। उधर बालू गिट्टी की ढुलाई बंद होने और आर्थिक मंदी के कारण ट्रक खड़े रहने से आमदनी भी बंद थी। रोज साहूकार घर आकर धमकाता था ब्याज समेत जल्द पैसा लौटने को कहा करते थे। शायद इसी तनाव में उसने घर मे पंखा में लटक कर आत्महत्या कर ली।

लोगों ने आवास योजना की राशि को बताया कारण, नगर पंचायत अधिकारी पर उठाये सवाल

लोगों ने नगर पंचायत के अधिकारी पर सवाल उठाते हुए इस घटना का दोषी बताया तथा आरोप लगाते हुए कहा कि नगर पंचायत के अधिकारियों को नेताओं का संरक्षण प्राप्त है वे अपने मनमाने रवैये के हिसाब से काम करते है तथा गरीब लोगों के हक़ को मारकर उनके पैसे का बंदरबांट कर जाते है।

उधर सामाजिक कार्यकर्ता संजीत कुमार ने कटाक्ष करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा की नगर पंचायत मे उत्कृष्ट कार्य के लिए मंत्री की जमात को बुलाकर अधिकारी को एक बार फिर से सम्मानित करना चाहिए तथा बड़हिया नगर पंचायत को लोगों को बताना चाहिए की आवास योजना एक ताबूत योजना है, जिसमें कभी भी आपकी जान जा सकती है।

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भी दागे सवाल, जनप्रतिनिधि व आला अधिकारीयों से संज्ञान की रखी मांग

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष कन्हैया कुमार ने भी नगर पंचायत के अधिकारी पर सवाल खड़े करते हुए लिखा की “इस मौत का जिम्मेदार कौन ? सरकार या व्यवस्था ?” भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। देश की आजादी के 75वें साल 2022 तक हर भारतीय के पास अपना आवास हो।

प्रधानमंत्री के इस विजन पर अधिकारियों का यह लूट का रवैया समझ से बाहर है। बड़हिया नगर पंचायत के वार्ङ 22 के सुबोध सिह 2017 मे ही आबास योजना के लाभुक बने, पहली किश्त निर्गत की गई। उन्होने साहूकार से पैसे लेकर घर बना लिया। लेकिन जब अगली किश्त की बारी आई तो उन्हे टहलाना शुरू हुआ।

एक गरीब इंसान 4 हजार रूपये मासिक सूद का देनदार बन जाता है। मकान बनने के 24 महीने बाद भी राशि नही मिलने से वो समझ जाता है कि अब तो मिलने वाली राशि भी सिर्फ ब्याज ही चुका सकती है, मूलधन नही, नतीजा वो अपनी जान गंवा बैठता है। व्यवस्था मे बैठे धन लोलुप लोगो के लिए कोई नई बात नही।

गरीबी और गरीबी हटाने की योजना ही वो स्कीम है जो इन अधिकारियो को कफन तक मे जेब सिलबा देती हैं। लखीसराय के जनप्रतिनिधि और अधिकारी संज्ञान लें, सच्चाई से अवगत हो और दोषी अधिकारी पर एफ आइ आर हो। बङहिया नगर का एक एक नागरिक यही मांग रखता है ।

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