कवितायेँ बड़हिया मथुरा प्रसाद नवीन शिक्षा समाचार सम्पादकीय सामाजिक

मगही के कबीर मथुरा प्र० नवीन की 15वीं पुण्यतिथि पर हुआ राज्यस्तरीय कवि सम्मेलन का आयोजन

जवाहर नवोदय विद्यालय के प्रांगन में मगही के कबीर स्व मथुरा प्र नवीन की 15वीं पुण्यतिथि पर हुआ कवि सम्मेलन का आयोजन साहित्य सर्जना परिषद एवं मथुरा प्रसाद नवीन...

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17 दिसम्बर को नवीन जी की पुण्यतिथि समारोह पर होगा राज्यस्तरीय कवि सम्मेलन

बड़हिया: बुधवार को बड़हिया स्टेशन रोड स्थित कैम्प कार्यालय में साहित्य सर्जना परिषद एवं मथुरा प्रसाद नवीन चेतना समिति के सदस्यों की एक बैठक सम्पन्न हुई। बैठक की...

कवितायेँ रवि कुमार

(23) युवा आह्वान

टूटेगी कब ? ये मिथक – भ्रान्ति फूटेगी कब ? नस – नस में क्रांति पाकर , शीतलता इस मुर्द मौसम की , क्या ? बन जाएगा यूँ ही , लहू ये पानी ॥ कब तक ...

कवितायेँ रवि कुमार

(22) रिश्तों का मूल्य

ना जाने कितने रिश्तो को टूटते बिखरते देखा है ॥ एक गजब की आकाँक्षा , कुछ पाने की ललक में , शाह – मात का खेल चलता देखा है बनते रोज़ घरौंदे रेतों की भावनाएं...

कवितायेँ रवि कुमार

(21) सोचो ? क्या होगा इससे आगे ?

सोचो ? क्या होगा इससे आगे ? मनु के ही संतानों ने चक्रव्यूह रचा है चहुँओर अब क्या ? पार्थ आयेंगे इस व्यूह को वो ,तोड़ पायेंगे चारो ओर संग्राम छिड़ा हर कोई लाचार...

कवितायेँ रवि कुमार

(20) मानव और कर्म

जन्म लिया इस जग में , नवजीवन का मिला दान ॥ कुछ ऐसा कर , ओजस भर बन जा तू मानव महान यह कर्मभूमि है ,तपोभूमि है दे मानवता का महादान सतत निरंतर बढ़ ,अपने पथ पर...

कवितायेँ रवि कुमार

(19) एक एहसास हो तुम

एक ऐहसास हो तुम, जीवन की अधूरी प्यास हो तुम वो लम्हें ,वो पल आयें वो ना ,कल तुम्हारी वो चाँद बातें , जैसे,अमावश की काली रातें , इस वीराने जीवन की आश ! हो तुम...

कवितायेँ रवि कुमार

(18) मेरे मन

कभी यहाँ , कभी वहाँ भटकता रहे दर बदर , अजीब उलझन है , इस मन की , सँग तेरा जैसे , डोर पतँग की, कभी गमों के गीत सुनाते , कभी खुशी के , तराने कभी यहाँ , कभी वहाँ...

कवितायेँ रवि कुमार

(17) क्या ? लिखूँ

सोचा मैने , कागज ,कलम लेकर कुछ लिखूँ , बैचेन है , मन मेरा बिलखती अबला , की पुकार या , सिसकती , जिन्दगी की गुहार , रक्तरँजित है , विशाल भू- खण्ड कुछ नही सुझता ...

कवितायेँ रवि कुमार

(16) बीती जाए रैना रे

बीती जायें रैना रे . . . उठो रहबर आलस छोड़ो नयी सुबह नयी किरणो ने फ़िर से तुम्हे पुकारा रे फँसे हो किस धुन्ध मे प्रियवर नयी राहें नयी दिशाओं ने फ़िर से तुम्हे...

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